Friday, January 21, 2011

घोटालो का रिपब्लिक डे....




दोस्तो
जरा इसे पढ़े
"We owe a lot to the Indians, who taught us how to count, without which no worthwhile scientific discovery could have been made!"

- Albert Einstein (Theoretical Physicist, Germany)


अब आपको उस फ़ैक्ट से अवगत करता हु जो मुझे कुछ दिन पहले मिला है। किसी मित्र ने मेल किया तो सोचा आप लोगो के साथ शेयर कर लू...
कुछ दिन बाद हम रिपब्लिक डे मना रहे होंगे और ये सोच कर खुश हो रहे होंगे की आखिरकार हमारे लिए आज़ादी की लड़ाई करने वालों ने कितनी बड़ी जीत इतिहास में दर्ज़ कराई है। मगर क्या ये बात कभी आप ने सोचने की जहमत उठाई है की सन 47 में मिली आज़ादी के बाद से आखिर हमने क्या कुछ खोया और क्या कुछ पाया है। आज़ादी के बाद से हम कुछ 407 लोगो के गुलाम बन कर रह गए है। वो हमारी दशा और दिशा दोनों ही चीज़ों को तय करते है। इतना ही नही कहने को तो हम (आम जनता) राजा है, मगर आपको शायद ये जानकर हैरानी होगी की approx बीते 18 सालो में हमने (आम जनता) ने कई लाख करोड़ रुपिए का गबन झेला है। इसे करने वाले और कोई नही बल्की वो है जो हमें अपना सेवक (पॉलिटिशन ) बताते है। मजे की बात तो ये है की ये हमारी ही जागीर से घपले करते है और हमपर ही गुरराते भी है। आदर्श सोसाइटी का घोटाला हो या फिर सीडब्लूजी घोटाला या फिर 2जी स्पेक्टृम घोटाला ये इन सेवको के लिए नई चीज़ नही है। पिछले 18 सालो में सेवको ने किस तरह से हमे रिपब्लिक डे का मतलब समझाया है इस पर एक नज़र डाल ली जाए।
1992- हर्षत मेहता सेक्यूरिटीस घोटाला- 5000 करोड़
1994- शुगर इम्पोर्ट घोटाला- 650 करोड़
1995- प्रेफ़्रेंटियल अलॉट्मेंट घोटाला- 5000 करोड़, युगोस्लाविया डिनर घोटाला 400 करोड़, मेघालय फॉरेस्ट घोटाला- 300 करोड़
1996- खाद्य इम्पोर्ट घोटाला- 1300 करोड़, यूरिया घोटाला- 133 करोड़, चारा घोटाला- 950 करोड़
1997- सुखराम टेलीकॉम घोटाला- 1500 करोड़, एसएनसी लवालिन पावर प्रोजेक्ट- 374 करोड़, बिहार लैंड घोटाला- 400 करोड़, सीआर भंसाली स्टॉक घोटाला- 1200 करोड़
1998- टीक प्लांट घोटाला- 8000 करोड़,
2001- यूटीआई घोटाला- 4800 करोड़, दिनेश डालमिया स्टॉक घोटाला- 595 करोड़, केतन पारेख सेक्यूरिटीस घोटाला- 1250 करोड़

2002- संजय अग्रवाल होम ट्रेड घोटाला- 600 करोड़
2003- तेलगी स्टैम्प पेपर फ़्रौड- 172 करोड़
2005- आईपीओ घोटाला 146 करोड़, बिहार बाढ़ घोटाला- 17 करोड़, सबमरीन घोटाला- 18,978 करोड़
2006- पंजाब सिटि सेंटर प्रोजेक्ट घोटाला- 1500 करोड़, ताज कौरीडोर घोटाला- 175 करोड़
2008- पूणे हसन अली टैक्स घोटाला- 50,000 करोड़, सत्यम घोटाला- 10,000 करोड़, आर्मी राशन घोटाला- 50,000 करोड़
2009- झारखंड मेडिकल घोटाला- 130 करोड़, चावल एक्सपोर्ट घोटाला- 2500 करोड़, उड़ीसा माइन घोटाला- 7000 करोड़, मधु कोडा माइन घोटाला- 4000 करोड़
2010- सीडबल्यूजी घोटाला- 70,000 करोड़, 2जी स्पैकटृम घोटाला 1 लाख 76 हज़ार करोड़, आदर्श सोसाइटी घोटाला- 500 करोड़



अब आप यह समझिए की जितना हमारे सेवको ने हमें नुकसान पहुचाया है अगर वो सारा धन हमारे विकास के लिए इस्तमाल में लाया जाता तो क्या क्या हो सकता था।
बिल्ड- 30 लाख रुपए की लागत से 2.4 करोड़ प्राइमरी हैल्थ केयर सेंटर बनाए जा सकते है। जिसका मतलब है की हर गाँव में तीन हॉस्पिटल, 3 करोड़ 2 लाख रुपए की लागत से 24.1 लाख केन्द्रीय विध्यालय बनाए जा सकते है। जिसमे 6 से लेकर क्लास 12 तक की स्टडीस कराई जा सकती है।
कन्स्ट्रकशन- 5 लाख यूनिट की कोस्ट के 14.6 करोड़ घर बनाए जा सकते है। इंडिया के पेरामीटर को 97 बार कवर करते हुए 14.6 लाख किलोमीटर सड़क बनायी जा सकती है।
सेट अप- 2700 करोड़ की लागत से 600 मेगा वॉट के 2703 कोल बेस्ड पावर प्लांट लगाए जा सकते है।


ये वो फ़ैमिली है जो विकास होने पर कुछ इस तरह से दिखेगी

सप्लाइ- 6 लाख गाँव को लाइट देने के लिए 12 लाख सीएफ़एल बल्ब बनाए जा सकते है।
क्लीन अप- 1200 करोड़ रुपए के हर साल खर्च करने पर 121 साल तक 50 मेजर रिवर की सफाई कराई जा सकती है।
लॉंच- 81,111 करोड़ की लागत से 90 नरेगा स्कीम शुरू की जा सकती है।
घोसणा- 60,000 करोड़ की लागत से 121 वेयविंग के करखाने खोले जा सकते है।
गिव- 56,000 रुपए हर इंडियन को दिये जा सकते है या फिर गरीबी रेखा से नीचे वाले हर एक को 1 लाख 82 हज़ार रुपए दिये जा सकते है।
हैंड आउट- 60.8 करोड़ लोगो को टाटा नैनो दी जा सकती है या फिर इससे 4 गुना ज्यादा लैपटाप दिये जा सकते है।
जीडीपी ग्रोथ- जितने घोटाले हुए है वो 53 लाख करोड़ जीडीपी ग्रोथ का 27 परसेंट ज्यादा है।
इतना सब देखने के बाद एक ही चीज़ जेहन में आती है की जागो इंडिया जागो। अगर हमें विकास के रास्ते पर आगे जाना है तो अपने भाग्य को तय करने वालों का चुनाव जरा सोच समझ कर करना पड़ेगा ताकि आने वाला रिपब्लिक डे कुछ बेहतरी लेकर आए।
जय हिन्द जय भारत

आपका मित्र

Friday, December 24, 2010

Politicians v/s Demons




दोस्तो
अभी अपने भारत का नाम पूरे संसार में चर्चा का विषय बना हुआ है, उसका कारण भी है, 50 साल के इतिहास में जो होता रहा है मगर कभी लोगो के सामने नही आ पाया, नेताओ की वो धोखाधड़ी लोगो के सामने खुल कर आ रही है, और कोई थोड़ा बहुत नही अरबों रुपियों में। कहा जाता है की जब इस धरती पर भगवान का राज़ था तो उनकी सत्ता को चैलेंज करने के लिए कई राक्षस हुआ करते थे और अपनी पहचान बताने को भगवान समय समय पर उनका नाश कर दिया करते थे। आपको ये बात जानकर हैरानी होगी की कुछ भगवानों की बात छोड़ दे तो राक्षसो का निशाना भी आम आदमी हुआ करते थे, जब राक्षस इन्सानो का बेहिसाब खून पी जाते थे तब भगवान उन्हे बुक करने का काम करते थे।

आज भी वही हो रहा है, बस शक्ले और मायने बदल गए है और हा भगवान का कुछ अता पता नही है।

पुराने समय में राक्षस इन्सानो को मारकर उनका खून पीते थे मगर अब वो बाकायदा सो कॉल्ड यूनिफॉर्म्स के साथ देश की राजधानी में बैठते है और हमारा फ्युचर डिसाइड करने के अलावा वो आने वाले समय में और किस कदर हमारा खून पी सकते है इसका भी फैसला करते है। इन राक्षसो के खून पीने का तरीका भी अलग है, हम अपनी ज़िंदगी आराम से जीने के लिए इन्हे टैक्स के तौर पर पैसा देते है। इन्हे गुस्सा न आए इसके लिए इन लोगो ने खुद अपने खून (सैलरी और एक्सट्रा बेनीफिट्स)की मात्रा डिसाइड कर रखी है, मगर इन लोगो का लालच फिर भी खत्म होने का नाम नही लेता। वो एक्सट्रा खून की मात्रा धोखाधड़ी से पूरी करते है जिसके बड़े एक्जाम्पल भी है।


1900s

Telecom scam (Sukh Ram)
HDW Submarine
Bitumen scam
Tansi land deal
JMM Bribery Scandal
St Kitts case
Urea scam
Anantnag transport subsidy scam
1971 Nagarwala scandal
Fodder scam
1975: Declaration of Emergency
Churhat lottery scam

1990s

Bofors Scandal (1990)
Animal Husbandry Case (1990)
Bombay Stock Exchange Manipulation & Fraud by Harshad Mehta (1992)
Hawala scandal (1993)
Bangalore - Mysore Infrastructure Corridor (1995)
Sukh Ram (1996)
Fodder Scam in Bihar (1996)
Kerala SNC Lavalin power scandal (1997)

2000s

Ketan Parekh Scandal, Barak Missile Deal Scandal, Tehelka Scandal (2001)
Taj corridor case (2002–2003)
Telgi scandal (2003)
Nitish Katara Murder Case (2004)
Oil-for-food programme scam (Natwar Singh) (2005)
Jessica Lal case (2006)
Human Trafficking Scam involving Babubhai Katara
Cash-for-votes scandal
Satyam scandal
Madhu Koda, laundering money worth over Rs. 4000 crores
Gegong Apang, public distribution scam[1]
2G spectrum scam
Adarsh Housing Society scam

इन सारे राक्षसो के बारे में जानने के बाद अगर ये कहा जाए की भगवान का इंतज़ार है तो गलत क्या है? भगवान से प्राथना करिए की हम सबको इनकी बुरी नजरों से बचाय॥

Sunday, December 12, 2010

आखिर कब सुधरेंगे ओछे मनोरंजक



दोस्तो
आज कल टीवी पर दो ही चीज़ें छाई हुई है। राखी का इंसाफ और काँग्रेस के दिग्विजय सिंह का बयान। दोनों ही अपने आप में गरम मुद्दे है। राखी के शो ने मेरठ में एक युवक की जान ले ली, तो वही दिग्विजय सिंह के बयान ने शहीद हुए देश के एक सिपाही को वापस जिंदा होने पर मजबूर कर दिया। दोनों ही एपिसोड ऐसे है जिनसे ये साबित हो जाता है की आम पब्लिक के बीच में खुद को बड़ा मनोरंजक साबित करने की ऐसी खूंखार जंग चल रही है की आम आदमी की अस्मिता से खेलकर दूसरों का मनोरंजन किया जा रहा है।
राखी के शो को तो आप लोगो ने देखा ही होगा, उसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। राखी वाहा पर किसी ग्लाम जज से कम नही लगती मगर जैसे ही वो अपना मुह खोलती है तो ऐसा लगता है मानो भारत की कानून व्यवस्था को कोई गली दे रहा हो। इससे राखी को कोई फरक नही पड़ता की उनका शो देखने के बाद पब्लिक क्या रिएक्शन देगी, वह बस इस बात पर यकीन करती है की जितना भोंडपन उतनी व्यूवरशिप। खैर अब देखिये आगे राखी जी क्या क्या गुल खिलाती है।

अब बात दिग्विजय सिंह की, कहने को काँग्रेस में वरिष्ठो में से एक, मगर दो दिन पूर्व उन्होने जब नेशनल हीरो ats चीफ लेट हेमंत करकरे के बारे में बयान दिया की (उनको मारने वाले हिन्दू आतंकवाद को बड़वा देने वाले लोग भी हो सकते है।) तो आंखे खुल गई की इन पॉलिटिशन के लिए लोगो को बेवकूफ बनाकर उनका वोट हासिल करना ही परम कर्तव्य है। हालांकि हेमंत की वाइफ़ ने दिग्विजय सिंह के बयानो का खंडन किया, मगर मेँ आप पब्लिक से ये जानना चाहता हु की आखिर हम ऐसी खबरों को हाइट ही क्यो देते है, आप से वायदा करता हू की अगर कभी मौका मिला तो जरुर अपने इस सवाल का जवाब खोज निकालूँगा।
जवाब के इंतज़ार मेँ

Saturday, December 4, 2010

अब मुन्नी फ़ेल शीला पास




दोस्तो
अभी हाल ही में दबंग देखी, फिल्म का कान्सैप्ट भले ही कुछ नया न हो, मगर फिल्मी भाषा में एंटर्टेंमेंट का कंप्लीट पैकेज थी ये फिल्म। मगर अब तक के मेरे फिल्मी सफर में (एक दर्शक की नज़र से) अपने बॉलीवुड में बड़ा चेंज आ चुका है। मुझे याद है की जब में स्कूल में पढ़ता था, तब खलनायक रिलीस हुई थी। परिवार के साथ बड़े ही उल्लास के साथ फिल्म देखने गया, मगर तब मेरी माँ को मुझे कोल्ड ड्रिंक पिलाने के लिए हाल से बाहर ले जाना पड़ा, बाद में कारण पता लगा जो की वो गाना था जो उस वक़्त सुपर डुपर हिट रहा था, चोली के पीछे क्या है, चुनरी के नीचे क्या है। । उसके बाद कई ऐसे एंटर्टेंमेंट पैकेज हम पब्लिक के सामने परोसे गए, जो भद्दे जरूर थे मगर हमने उन्हे एक्सैप्ट किया। समय बदलता चला गया और चोली की जगह ली मुन्नी ने, बेचारी मुन्नी को अपना गाना हिट कराने के लिए दूसरों के शरीर में दर्द को खत्म करने वाली झंडुबाम बनना पड़ा। मुन्नी बदनाम भी हो गई, इसके बाद जब लोगो ने इस भोंडपन के लिए ये कहा की वह क्या बात थी तो मुन्नी बोली मुझे तो यकीन नही होता की गाना इतना बड़ा हिट होगा। अब इन लोगो को कैसे समझाया जाए की म्यूजिक को सुनाने और उसे दर्शाने के तरीके अलग होते है।
अब बात इससे आगे बड़ी, मुन्नी के जोश को ठंडा करने के लिए हमारे एक और फिल्म बनाने वाले ने शीला को लाकर हमारे सामने खड़ा कर दिया। शीला ने हमे बताया की वो हमारे लिए ही सेक्सी थी और साथ ही भड़काने वाली अदा के साथ ही वो हमे ये भी बता रही है की माइ नेम इज शीला, शीला की जवानी
अब हक़ीक़त तो ये है की हम आगे अब उस नीला, पीला या शकीला के इंतज़ार कर रहे है जो की खलनायक की गंगा, दबंग की मुन्नी और तीस मार खान की शीला से ज्यादा भोंडपन परोसने में कामयाब रहेगी।
तो दोस्तो मेरे साथ मेरे इंतज़ार में शरीक हो और मेरे इस ब्लॉग पर फीडबैक देना मत भूले।
प्रणाम

Wednesday, November 24, 2010

ये जो पब्लिक है ये सब जानती है


साथियो
प्रणाम
एक बार फिर आपसे मुखातिब हो रहा हू। अभी वेडनसडे की बात है। बिहार में विधानसभा के इलैक्शन के रिजल्ट्स सामने आए। रिजल्ट्स देखकर एक बात पर यकीन हो गया, की अब पब्लिक जागरूक हो चुकी है, एक बार फिर ऐसा दौर लौटकर आया है, जहां जाती के नाम पर पब्लिक को बेवकूफ बनाना अब मुश्किल हो चुका है। बिहार में जो जीत नितीश और बीजेपी का मिली है दरअसल वो जीत नितीश के दिखाये उन सपनों की है जो बिहार के लिए विकास का रास्ता खोलते है। नितीश ने जिस तरह से पब्लिक के बीच अपनी बात को रखा उसे समझने में पब्लिक ने भी अपना इंटरेस्ट दिखाया, और नतीजा आपके सामने है। 243 सीटों वाले इस इलैक्शन में नितीश की पार्टी jdu को 115 सीटे और साथ में आई बीजेपी को 91 सीटे मिली। जो की 2005 के इलैक्शन के मुकाबले बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा। वही जिन लोगो ने सत्ता में रहते करअपशन को ही अपना अधिकार माना उन्हे जनता ने सिरे से नकार दिया। लालूजी की वाइफ़ राबरीजी दो जगहो से इलैक्शन कॉन्टेस्ट किया मगर उन्हे पब्लिक ने सिर पर नही बैठाया। लालू के साले साधू को भी हार का मुह देखना पड़ा।
नितीश भले ही अपनी जीत का जश्न माना ले मगर उन्हे इस बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा की अगर वो इसे बंगाल के ज्योति दा की तरह लोंग लास्टिंग रखना चाहते है तो उन्हे अपने दिखाये गए सपनों में से कम से कम 25 परसेंट काम तो पूरा करना ही होगा, क्योकि नीतिशजी यह जो पब्लिक है अब सब जानती है। इसे अब बेवकूफ बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
आपको भगवान सत्ता चलाने की सद्बुद्धि दे।

प्रणाम

Wednesday, November 10, 2010

लिखने के बाद भी नही समझ पाया


मेरे दोस्तो
नमस्कार,
पिछले 40 दिनो से अनुष्का का केस लिख रहा हू। आपको जान कर हैरानी होगी की इस केस को नेशनल लेवेल के मीडिया ने हाईलाइट किया। केस ऐसा था की तमाम अफसरो से बुराई भी हो गई। मन में यह सुकून था की कम से कम कुछ अच्छी पत्रकारिता कर रहा हू। मगर आपको एक बात बताऊ की इतने समय इस केस को लिखने के बाद मै खुद पूरी तरह से इस नतीजे पर नही पहुच पाया हू की आखिरकार अनुष्का के साथ ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से उसे इतनी दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ा। उस जरा सी बच्ची को किसी ने अपने हैवानियत का शिकार बनाया था। केस को ट्रैक करते हुए मुझे 40 दिन से ऊपर हो चुका है। इस केस के इन्वैस्टिगेशन की शुरुवात लोकल पुलिस ने की थी, पुलिस ने अपना खेल दिखाने की कोशिश की मगर मीडिया की नज़र में सब आ गया। मामला लोकल लेवेल से नेशनल लेवेल तक पहुच गया, और इसी के साथ स्टेट गवर्नमेंट ने केस को सीबीसीआईडी को देने के आदेश दे दिये। इन्वैस्टिगेशन शुरू हुई और पहली बार ऐसा हुआ की फोरेंसिक लैब के डाइरेक्टर खुद इन्वैस्टिगेशन करने के लिए सिटि में थे।

इस केस में मुझे ऐसा लगता है की शायद सीबीसीआईडी की टीम खुद उलझ चुकी है। क्योकि इतने दिन हो जाने के बाद अभी आरोपी की बात तो छोड़ ही दीजिये, घटना कहा हुई थी इसका भी पता नही लगा पायी है। ठीक ऐसा ही कुछ हाल मेरा भी है। में लिखने के बाद भी इस केस के बारे में बहुत ज्यादा कुछ भी नही जान सका हू। सीबीसीआईडी टीम। इस मामले में सीबीसीआईडी टीम अब एक ही राग अलाप रही है टीम कहती है की मामला अब पूरी तरह से साइंटिफिक हो चुका है। अब ये केस बिलकुल सही खुलेगा। खैर केस में नए मौड़ आते रहेगे और में आपको उसके बारे में बताता भी रहूँगा। मगर भगवान से एक ही प्रथना है की दोबारा कभी किसी और अनुष्का को लिखना न पड़े

फिर मिलेंगे

Monday, September 13, 2010

police sahe hai ya phr wo jo dikh raha hai

Heloo my Friends,
sorry, is bar likhnay mein der ho gaye. Kya bataye office mein net limited time ke liye milta hai aur thakan ke karan likhnay ka samay nhe mil paya, aur haqeeqat ye bhe hai ki koi topic nhe samajh aa raha tha. Phir city mein dil dehla dene wali ghatna hui magar mamla phir wahe atak gaya ki aakihir sach kya hai, Jo police keh rahe the wo, ya phir hmlogo ko jo dikh raha tha wo. Khair mera kam hai batanay ka sahe ya galt ye to aapko tai karna hai.
Ghatna kuch aisi thi ki city ke ek nursing home ke ICU mein ek Dalit ladki Kavita ke sath rape ho gaya. Aisa kaha jata hai. Isliye, kyoki us yuvti ne media ke camera ke samnay kaha tha ki uskay sath bht galat hua, aur iska virodh karnay ke karan hospital walay usay jaan se mar dengay wo bhe jehar ka injection laga kar. Kavita ne jis din ye bayan diya usi din sham ko uski maut ho gaye. Ab kya tha media ko chatpati masalay dar khabar mil gaye aur hmne us nursing home owner se laga kar mamlay mein apradhi ghoshit Rakesh ki khoob bajaye. Owner ko jail tak ho gaye aur Rakesh bhe surrender karke jail pahuch gaya. Dono ke jail janay ka sabse bada karan tha Kavita ki slide report. Jo ki Health Minister ke karan 24 ghantay mein hi aa gaye. Ab aapko decide karna hai sach kaisa hai??

POLICE- Police ka kehna hai ki Kavita ne apnay muh se ye nhe kaha ki uska rape hua hai? Kavita ki post mortem report kehti hai ki uski Maut head injury se hui? Uske body mein 3 fractures thay, breast, palvic aur Hip par, wo apne ghar ke terrace se aisay kaisay giri jo is tareekay ke fracture hue? Uski slide ka DNA test lucknow se karanay ki baat chal rahe hai?

MEDIA-Media investigation kehti hai ki kya koi ladki kabhe apnay muh se ye kahege ki uska rape hua hai? Kavita ghatna walay nursing home mein lanay se phele do aur nursing homes mein le jai gaye thi waha head injury nhe the? Uskay apnay ghar ke terrace se girnay ki wajah media nhe janti? Slide ka DNA test kya hoga issay bhe media ko jyada matlab nhe hai?

EK NAYE KAHANI- Is puray mamlay mein Ek naye kahani ye bhe hai ki Health Minister se nuring home owner ka panga tha. Isliye report 24 ghantay mein aye wo bhe positive. Ab ye prakran ap ke samnay hai jaldi kuch update hua to aapko bataonga magar feed back dete raheyega.
Waiting.......

Gaurav