Sunday, December 12, 2010

आखिर कब सुधरेंगे ओछे मनोरंजक



दोस्तो
आज कल टीवी पर दो ही चीज़ें छाई हुई है। राखी का इंसाफ और काँग्रेस के दिग्विजय सिंह का बयान। दोनों ही अपने आप में गरम मुद्दे है। राखी के शो ने मेरठ में एक युवक की जान ले ली, तो वही दिग्विजय सिंह के बयान ने शहीद हुए देश के एक सिपाही को वापस जिंदा होने पर मजबूर कर दिया। दोनों ही एपिसोड ऐसे है जिनसे ये साबित हो जाता है की आम पब्लिक के बीच में खुद को बड़ा मनोरंजक साबित करने की ऐसी खूंखार जंग चल रही है की आम आदमी की अस्मिता से खेलकर दूसरों का मनोरंजन किया जा रहा है।
राखी के शो को तो आप लोगो ने देखा ही होगा, उसके बारे में जितना कहा जाए उतना कम है। राखी वाहा पर किसी ग्लाम जज से कम नही लगती मगर जैसे ही वो अपना मुह खोलती है तो ऐसा लगता है मानो भारत की कानून व्यवस्था को कोई गली दे रहा हो। इससे राखी को कोई फरक नही पड़ता की उनका शो देखने के बाद पब्लिक क्या रिएक्शन देगी, वह बस इस बात पर यकीन करती है की जितना भोंडपन उतनी व्यूवरशिप। खैर अब देखिये आगे राखी जी क्या क्या गुल खिलाती है।

अब बात दिग्विजय सिंह की, कहने को काँग्रेस में वरिष्ठो में से एक, मगर दो दिन पूर्व उन्होने जब नेशनल हीरो ats चीफ लेट हेमंत करकरे के बारे में बयान दिया की (उनको मारने वाले हिन्दू आतंकवाद को बड़वा देने वाले लोग भी हो सकते है।) तो आंखे खुल गई की इन पॉलिटिशन के लिए लोगो को बेवकूफ बनाकर उनका वोट हासिल करना ही परम कर्तव्य है। हालांकि हेमंत की वाइफ़ ने दिग्विजय सिंह के बयानो का खंडन किया, मगर मेँ आप पब्लिक से ये जानना चाहता हु की आखिर हम ऐसी खबरों को हाइट ही क्यो देते है, आप से वायदा करता हू की अगर कभी मौका मिला तो जरुर अपने इस सवाल का जवाब खोज निकालूँगा।
जवाब के इंतज़ार मेँ

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