
साथियो
प्रणाम
एक बार फिर आपसे मुखातिब हो रहा हू। अभी वेडनसडे की बात है। बिहार में विधानसभा के इलैक्शन के रिजल्ट्स सामने आए। रिजल्ट्स देखकर एक बात पर यकीन हो गया, की अब पब्लिक जागरूक हो चुकी है, एक बार फिर ऐसा दौर लौटकर आया है, जहां जाती के नाम पर पब्लिक को बेवकूफ बनाना अब मुश्किल हो चुका है। बिहार में जो जीत नितीश और बीजेपी का मिली है दरअसल वो जीत नितीश के दिखाये उन सपनों की है जो बिहार के लिए विकास का रास्ता खोलते है। नितीश ने जिस तरह से पब्लिक के बीच अपनी बात को रखा उसे समझने में पब्लिक ने भी अपना इंटरेस्ट दिखाया, और नतीजा आपके सामने है। 243 सीटों वाले इस इलैक्शन में नितीश की पार्टी jdu को 115 सीटे और साथ में आई बीजेपी को 91 सीटे मिली। जो की 2005 के इलैक्शन के मुकाबले बहुत अच्छा प्रदर्शन रहा। वही जिन लोगो ने सत्ता में रहते करअपशन को ही अपना अधिकार माना उन्हे जनता ने सिरे से नकार दिया। लालूजी की वाइफ़ राबरीजी दो जगहो से इलैक्शन कॉन्टेस्ट किया मगर उन्हे पब्लिक ने सिर पर नही बैठाया। लालू के साले साधू को भी हार का मुह देखना पड़ा।
नितीश भले ही अपनी जीत का जश्न माना ले मगर उन्हे इस बात का ध्यान रखना ही पड़ेगा की अगर वो इसे बंगाल के ज्योति दा की तरह लोंग लास्टिंग रखना चाहते है तो उन्हे अपने दिखाये गए सपनों में से कम से कम 25 परसेंट काम तो पूरा करना ही होगा, क्योकि नीतिशजी यह जो पब्लिक है अब सब जानती है। इसे अब बेवकूफ बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
आपको भगवान सत्ता चलाने की सद्बुद्धि दे।
प्रणाम
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