Wednesday, November 10, 2010

लिखने के बाद भी नही समझ पाया


मेरे दोस्तो
नमस्कार,
पिछले 40 दिनो से अनुष्का का केस लिख रहा हू। आपको जान कर हैरानी होगी की इस केस को नेशनल लेवेल के मीडिया ने हाईलाइट किया। केस ऐसा था की तमाम अफसरो से बुराई भी हो गई। मन में यह सुकून था की कम से कम कुछ अच्छी पत्रकारिता कर रहा हू। मगर आपको एक बात बताऊ की इतने समय इस केस को लिखने के बाद मै खुद पूरी तरह से इस नतीजे पर नही पहुच पाया हू की आखिरकार अनुष्का के साथ ऐसा क्या हुआ था जिसकी वजह से उसे इतनी दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ा। उस जरा सी बच्ची को किसी ने अपने हैवानियत का शिकार बनाया था। केस को ट्रैक करते हुए मुझे 40 दिन से ऊपर हो चुका है। इस केस के इन्वैस्टिगेशन की शुरुवात लोकल पुलिस ने की थी, पुलिस ने अपना खेल दिखाने की कोशिश की मगर मीडिया की नज़र में सब आ गया। मामला लोकल लेवेल से नेशनल लेवेल तक पहुच गया, और इसी के साथ स्टेट गवर्नमेंट ने केस को सीबीसीआईडी को देने के आदेश दे दिये। इन्वैस्टिगेशन शुरू हुई और पहली बार ऐसा हुआ की फोरेंसिक लैब के डाइरेक्टर खुद इन्वैस्टिगेशन करने के लिए सिटि में थे।

इस केस में मुझे ऐसा लगता है की शायद सीबीसीआईडी की टीम खुद उलझ चुकी है। क्योकि इतने दिन हो जाने के बाद अभी आरोपी की बात तो छोड़ ही दीजिये, घटना कहा हुई थी इसका भी पता नही लगा पायी है। ठीक ऐसा ही कुछ हाल मेरा भी है। में लिखने के बाद भी इस केस के बारे में बहुत ज्यादा कुछ भी नही जान सका हू। सीबीसीआईडी टीम। इस मामले में सीबीसीआईडी टीम अब एक ही राग अलाप रही है टीम कहती है की मामला अब पूरी तरह से साइंटिफिक हो चुका है। अब ये केस बिलकुल सही खुलेगा। खैर केस में नए मौड़ आते रहेगे और में आपको उसके बारे में बताता भी रहूँगा। मगर भगवान से एक ही प्रथना है की दोबारा कभी किसी और अनुष्का को लिखना न पड़े

फिर मिलेंगे

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